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श्री शिवतांडव स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने वाला एक दिव्य और अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। इसे लंकापति रावण द्वारा रचित माना जाता है, जो भगवान शिव के परम भक्त थे। यह स्तोत्र भगवान शिव के तांडव नृत्य और उनकी अद्भुत शक्तियों का वर्णन करता है।


श्री शिवतांडव स्तोत्र का परिचय

यह स्तोत्र भगवान शिव के रूप, गुण, शक्ति, और उनकी महिमा का भव्य वर्णन है। इसमें शिवजी के तांडव नृत्य का गहन और उत्कृष्ट चित्रण किया गया है, जो सृष्टि के निर्माण, स्थिति, और संहार का प्रतीक है।


रचना का संदर्भ

कथाओं के अनुसार, जब रावण ने अपने अहंकार में कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया, तो भगवान शिव ने अपने अंगूठे से पर्वत को नीचे दबा दिया, जिससे रावण की शक्ति कम हो गई। इस घटना के बाद, रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह स्तोत्र रचा।


शिवतांडव स्तोत्र की विशेषताएँ

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